श्रृद्धा करो, पर किस पर
एक छेद पूरी नाव को डुबो सकता है । मशीन का एक अनफिट पुर्जा पूरी मशीन का चलना बंद कर सकता है । एक मछली सारे तलाब को गन्दा कर सकती है । शरीर का एक रोग पुरे शरीर को अस्वस्थ कर सकता है । एक ही दुर्गुण व्यक्ति की प्रतिष्ठा को समाप्त कर सकता है । उसी प्रकार वीतराग सिद्धान्तों में से किसी एक का अपलाप करना, खण्डन करना, उसे नहीं मानना, साधक को निह्नव की कोटि में ले जा सकता है । सारे सम्यक्त्व को विपरीत करके मिथ्यात्व के रूप में परिवर्तित कर देता है । मोक्ष मार्ग से हटाकर संसार के मार्ग में उसे नियोजित कर देता है ।
जिस बात का हमें पूरा बोध न हो, उस पर हाँ-ना की स्थिति उपस्थित करना खतरनाक बन जाता है । जिसे व्यापार करना न आता हो, उसका व्यापार हानिकारक बन सकता है । उसी प्रकार जिस बात को जानने में हमारी मति काम नहीं कर रही है और ऐसी बात किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा कही जा रही है तो सहसा उसका खण्डन नहीं करना चाहिए । पहले उसकी समीक्षा करनी और समझना चाहिए ।
उसके बाद भी अगर समझ में न आवे और यदि वह बात वीतराग देवों की है, तो श्रृद्धा से स्वीकार कर लेनी चाहिए । क्योंकि हमारी उतनी विशिष्ट मति नहीं है कि हम वह बात समझ सकें । पर उनकी मति मति न होकर उनके आत्मा के केवल लोक में उदभाषित है । अत: वह सम्पूर्ण सत्य है ही । जो बात छ्द्मस्थों के द्वारा कही गई हो उसकी समीक्षा की जा सकती है और यदि वह वीतराग देवों के अभिप्राय से विपरीत हो, तो उसका खण्डन भी किया जा सकता है ।
वृक्ष की छांव में रहने वाला इन्सान धुप से बच जाता है । बड़े आदमी के सान्निध्य में रहने पर विकट आपत्तियों से बचा जा सकता है । उसी प्रकार हमारी मति अगर कमजोर है और हम वीतराग देवों की विशिष्ट बात को नहीं समझ सकते हैं, तो उसका अपलाप न करें । उन्हें स्वीकृति देकर सम्यक्त्व की छांव में ही बैठा जाये, ताकि भव-भव की लम्बी परम्परा की धुप उसे सहनी नहीं पड़े ।
हर आत्मा अनन्तकाल से, अनन्त भवों से भटकती चली आ रही है । अनन्त पुन्यवानी का उदय हुआ, तब उसे यह मानव जन्म और वीतराग वाणी सुनने को मिल रही है । अत: उसे चाहिए कि वह उस वाणी को उपयोग और श्रृद्धा के साथ आत्मसात करे, ताकि वह शाश्वत शान्ति प्राप्त कर सके ।
बहूत सही कहा आपने मेहता भाई, पूरे ग्यानके बिना किसी भी विषयपर बोलना बडा खतरनाक हो सकता है ।
आपने भी बहुत सही कहा । ज्ञान एक दो धारी तलवार की तरह होता है।पूर्ण एवम अपूर्ण समीक्षा के समीकरण पर आधारित है।
Dear@Mehta sir!
हर व्यक्ति को ईश्वर ने तर्क वितर्क करने की क्षमता दी है। अच्छे बुरे की पहचान करने की क्षमता दी है। सभी बुद्धिजीवियों में सबसे श्रेष्ठ यह मानव अपने अहम के चलते स्वयं को सर्व श्रेष्ठ साबित करने में लगा रहता है।जबकि यह सच है कोई भी अपने आप में पूर्ण नहीं हो सकता। अपना काम बिगाड़ने से बेहतर है कि दूर दूसरे व्यक्ति से सलाह लें हो सकता है कि उसकी सोच आपकी सोच से बेहतर हो। श्रद्धेय वही है जो आपके मनोविकारों को दूर कर दे। सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।
एकदम सही कहा आप ने श्रद्धा के बारे में.
अपने हृदयों को श्रद्धा से परिपूर्ण करो। केवल मुँह से श्रद्धा का नाम न लो, वरन् अपने रोम-2 में श्रद्धा भरो। अपने मन और वाणी को एक बनाओ अपने आचरणों को पवित्र करो। अपने लक्ष्य की सिद्धि में तन्मय होकर लग जाओ। अपने जीवन को यहाँ तक धर्ममय बनाओ कि लोग तुम्हें धर्म की निस्पृहता की, लोक सेवा की अनन्यता की सात्विक श्रद्धा एवं भक्ति की चलती फिरती मूर्ति समझने लगें। अटल श्रद्धा का ही दूसरा नाम भक्ति है।
मेहता जी आपका ये ब्लॉक हमे अच्छा लगा धन्यबाद
Nice blog brother ooossssaaamm
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Bhot hi Achi likha he Aap ne kya me Ye jaan sakta hu ki sari bate Aap ke man se niklti he ya kisi book ka share Se Aap Ye bate likhte he
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Great post!
Thanks for tasting the eden!
मित्र, आपको कुछ मदद की ज़रूरत है। मैरी की पोस्ट पर एक badcontent आ रहा है। वह दैनिक और सभी पदों पर आता है। और इसके लिए दो शब्द या अधिक लिखें। वह सबको गलत बता रहा है।
परन्तु जिन steemians ने steemit पर गन्दगी फ़ैलाने की सोच रखी हो उसका क्या तोड़ है । ये भी उन्ही लोगों में से है जिनकी वजह से steem मुद्रा की आज ये हालत है । जब तक आप ज्यादा लोगों को नहीं जुड़ने दोगे तो steem का क्या होगा? जो हाल आज हो रहा है वही होगा । जब तक इनकी समझ में नहीं आएगा कुछ नहीं हो सकता ।
आपका और हमारा क्या है हम तो छोटी-छोटी मछलियाँ है जो आती-जाती रहती है, जब उन्हें ही अपनी नहीं पड़ी तो हमें क्या दिक्कत है । हमसे ज्यादा तो नुकसान है उन्ही का है ना । जब steem का भाव ही नहीं बढ़ेगा तो, ये क्या कर लेंगे ।
आप शान्त रहे और "तेल देखें और तेल की धार देखे", आगे-आगे क्या होता है । समय बड़ा बलवान है सब ठीक हो जाएगा ।
ये बहुत ही गुस्से वाले steemian है कुछ बातें इनकी अच्छी है कि ये बहुत ही कठोर अनुशासित शासक है, परन्तु सभी जगह ये सही हो ऐसा कोई जरुरी नहीं है । तो आप ही अपना निष्कर्ष निकालिए और काम करते रहिए ।
हो सकता है मैंने कुछ गलत लिख दिया हो, परन्तु मैं जैसा इनके बारे में सोचता हूँ वही लिखा है ।@ahlawat जी आप ही बताईये @badcontent के बारे में क्या प्रभावशाली लिखना चाहिए । मैं इतना ज्यादा जानकर नहीं हूँ । इन लोगों से आपकी सोच नहीं मिलेगी तो ये तो होता ही रहेगा । जैसा ये बोले वैसा कर लो, तो सब ठीक हो जाएगा । अब ये आपकी मर्जी है कि क्या करना है । आप चाहो तो @TheMarkyMark से discord server पर सम्पर्क कर सकते हो, और @buildawhale और इनके बहुत से खाते (account) है उनसे सम्पर्क कर बात कर सकते हो, मुझे भी इनके सभी accounts का पता नहीं है । ये यहाँ के whale और बड़े आदर-सम्मान वाले पुराने steemian है । तो जो भी ये कहे मान लो, नहीं तो ये झेलते रहो । शायद इससे आपको बात समझ में आ गई होगी ।
मै आपकी बात से सहमत हॅू। और मैं आपने काम से काम रखूगा। आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Hi @mehta!
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