भैया के अल्फ़ाज़ .......
मेरी लेखनी का पैटर्न प्रत्येक लिखी हुई कविता में उस समय उन परिस्थितियों का वर्णन मैंने किया है जब उस प्रकार के हालात मेरे सामने थे जैसा कि मेरी प्रत्येक अलग अलग कविता को मैंने अलग-अलग हालातों परिस्थितियों को देखते हुए संजोया है जिसमें प्रेम, करुणा, क्रोध, हर्ष, उत्साह इत्यादि सब कुछ मौजूद है !
<p dir="auto">#कविता
<p dir="auto">कुछ पुरानी यादें आज फिर ताजा हो गयीं<br />
सीने में चुभन अौर दिल-ए-दर्द दे गयीं !
<p dir="auto">तड़पता रहा हूँ<br />
अकेला बहुत हूँ<br />
वो गई छोड़ मुझको<br />
सुबकता बहुत हूँ ,
<p dir="auto">तन्हा हुआ हूँ<br />
खातिर मै उसके<br />
टूटा है दिल जो<br />
बहकता बहुत हूँ ,
<p dir="auto">हुस्न ऐ परी<br />
वो नाजुक कली<br />
जिसे देखने को<br />
तरसता बहुत हूँ ,
<p dir="auto">ठिकाने बहुत है<br />
ठहरने को मेरे<br />
फिर भी न जाने<br />
भटकता बहुत हूँ ,
<p dir="auto">मंजिल वही एक<br />
जाऊँ कहीं<br />
लौटकर वहीं<br />
ठहरता बहुत हूँ
<p dir="auto">नग्मे ये सारे<br />
उसी के लिये है<br />
उसे परवाह, न मेरी<br />
मै करता बहुत हूँ 2..!!
<pre><code> लेखक
<p dir="auto">#नरेन्द्र अरनव ठाकुर<br />
09/06/2016
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