I write hindi poetry as Lamha, my pen name. This is my first small shayaris written long back:
सालों इंतज़ार के बाद उनका एक पैगाम आया...
समझ नहीं आता, पैगाम देख कर खुश हो या तारीख देख कर |
हम तो तन्हा ही आये थे और तन्हा ही चले जायेंगे,
अए ज़माने, तू उनको बेवफा न कहना |
अगर कोई हमसफ़र मिल जाये तो मीलों चले जाएँ...
अकेले में तो राह का हर पेड़ मील का पत्थर लगता है |
शायर तो हम हमेशा से थे,
पर इस दुनियादारी की भाग-दौड़ में हम खुद को ही भुला बैठे |
हमें न निकालो उनके ख्यालों से बाहर,
कुछ तो रहने दो जीने के लिए, हमारी सांस तो कब की बंद है |
तुम्हारा साथ था तो हस्ते हुए ऊंचाईयां छूते चले गए,
जब से तुम गए तब से ये रस्ते भी बेगाने लगते है |
--- लम्हा (Lamha)